आज समय की पुकार है कि हम सब एकजुट होकर संविधान पर हो रहे हमलों के खिलाफ खड़े हों।
संविधान केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत की आत्मा, समानता और न्याय का प्रतीक है।
जब लोकतंत्र पर संकट आता है, तब हर नागरिक का कर्तव्य बनता है कि वह आवाज़ उठाए —
क्योंकि चुप रहना भी अन्याय को ताकत देना है।
आइए, हम सब मिलकर उस भारत की रक्षा करें जिसकी नींव न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे पर टिकी है।
हमारा संघर्ष किसी व्यक्ति या दल के खिलाफ नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए है।
एकजुटता ही हमारी ताकत है, और संविधान ही हमारी पहचान।