चार साल के लिए ठेके पर भर्ती होने वाले युवाओं का भविष्य क्या होगा? क्या भारतीय सेना की गरिमा और अनुशासन से समझौता देशहित में है?
'अग्निपथ' योजना सेना के तीनों अंगों की परंपरा, गरिमा और अनुशासन के साथ खिलवाड़ है। यह निर्णय भारतीय सेना की क्षमता और निपुणता को कमजोर करने वाला है।
हमारी सीमाएं — एक ओर पाकिस्तान और दूसरी ओर चीन — लगातार खतरे में हैं। ऐसे में नियमित भर्ती को बंद कर केवल चार साल की कॉन्ट्रैक्ट भर्ती देश की सुरक्षा के लिए कितना उपयुक्त है, यह एक गंभीर प्रश्न है।
हमारे कुछ प्रमुख सवाल:
क्या चार साल की संविदा भर्ती भारतीय सेना की स्थायी जरूरतों को पूरा कर पाएगी?
सेना की इतिहास, परंपरा और अनुशासन क्या इस तरह के मॉडल से बनाए रखे जा सकेंगे?
नौसेना और वायुसेना में विशेषज्ञता की जरूरत होती है। डेढ़ से दो साल की ट्रेनिंग के बाद ही सैनिक पूरी तरह सक्षम होते हैं। ऐसे में इतने कम समय में कैसे प्रशिक्षित किया जाएगा?
अत्याधुनिक हथियारों, टैंकों, मिसाइल यूनिट्स के संचालन के लिए गहन तकनीकी प्रशिक्षण आवश्यक होता है। केवल तीन महीने की ट्रेनिंग से यह कैसे संभव होगा?
जब केंद्र सरकार के ग्रुप-D कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी ₹31,000 है, तो सैनिकों को ₹30,000 पर कैसे नियुक्त किया जा रहा है? क्या यह देश के रक्षकों के साथ अन्याय नहीं है?
हमारा स्पष्ट मत है कि यह योजना भारतीय सेना की अस्मिता, परंपरा और देश की सुरक्षा के साथ बड़ा समझौता है।
हम युवाओं के साथ खड़े हैं, उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए यह सवाल हम सदन से लेकर सड़क तक उठाते रहेंगे।
विश्वनाथ राम, विधायक
202, राजपुर विधानसभा, बक्सर MLA विश्वनाथ राम